Hindi Kavitayein
I ग़लतियों से जुदा
तू भी नही,
मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं,
खुदा तू भी नही,
मैं भी नही ... !
" तू मुझे ओर मैं तुझे
इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता
तू भी नही,
मैं भी नही " ... !!
" ग़लत फ़हमियों ने कर दी
दोनो मैं पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा
तू भी नही,
मैं भी नही...!!
______________________________________
एक पथ्थर सिर्फ एक बार मंदिर
जाता है और भगवान बन जाता है ..
इंसान हर रोज़ मंदिर जाते है फिर
भी पथ्थर ही रहते है ..!!
______________________________________
एक औरत बेटे को जन्म देने के लिये
अपनी सुन्दरता त्याग देती है.......
और वही बेटा एक सुन्दर बीवी के लिए
अपनी माँ को त्याग देता है
______________________________________
जीवन में हर जगह हम "जीत" चाहते हैं...
सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है
जहाँ हम कहते हैं कि "हार" चाहिए।
क्योंकि हम भगवान से "जीत"
नहीं सकते।
______________________________________
धीमें से पढ़े बहुत ही अर्थपूर्ण है यह
मेसेज...
हम और हमारे ईश्वर,
दोनों एक जैसे हैं।
जो रोज़ भूल जाते हैं...
वो हमारी गलतियों को,
हम उसकी मेहरबानियों को।
______________________________________
एक सुविचार
वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के
साथ.....
पर अपनों का पता चलता है, वक़्त के
साथ...
वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ,
पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के
साथ...!!!
______________________________________
ज़िन्दगी पल-पल ढलती है,
जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है...
शिकवे कितने भी हो हर पल,
फिर भी हँसते रहना...क्योंकि ये
ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक ही बार मिलती है
I ग़लतियों से जुदा
तू भी नही,
मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं,
खुदा तू भी नही,
मैं भी नही ... !
" तू मुझे ओर मैं तुझे
इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता
तू भी नही,
मैं भी नही " ... !!
" ग़लत फ़हमियों ने कर दी
दोनो मैं पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा
तू भी नही,
मैं भी नही...!!
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एक पथ्थर सिर्फ एक बार मंदिर
जाता है और भगवान बन जाता है ..
इंसान हर रोज़ मंदिर जाते है फिर
भी पथ्थर ही रहते है ..!!
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एक औरत बेटे को जन्म देने के लिये
अपनी सुन्दरता त्याग देती है.......
और वही बेटा एक सुन्दर बीवी के लिए
अपनी माँ को त्याग देता है
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जीवन में हर जगह हम "जीत" चाहते हैं...
सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है
जहाँ हम कहते हैं कि "हार" चाहिए।
क्योंकि हम भगवान से "जीत"
नहीं सकते।
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धीमें से पढ़े बहुत ही अर्थपूर्ण है यह
मेसेज...
हम और हमारे ईश्वर,
दोनों एक जैसे हैं।
जो रोज़ भूल जाते हैं...
वो हमारी गलतियों को,
हम उसकी मेहरबानियों को।
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एक सुविचार
वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के
साथ.....
पर अपनों का पता चलता है, वक़्त के
साथ...
वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ,
पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के
साथ...!!!
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ज़िन्दगी पल-पल ढलती है,
जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है...
शिकवे कितने भी हो हर पल,
फिर भी हँसते रहना...क्योंकि ये
ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक ही बार मिलती है