Wednesday, 13 May 2015

Koshish na kar

Koshish na kar


 तू
जिंदगी को जी
उसे समझने की 
कोशिश न कर

सुन्दर सपनो के 
ताने बाने बुन
उसमे उलझने की 
कोशिश न कर



चलते वक़्त के साथ 
तू भी चल
उसमे सिमटने की 
कोशिश न कर

अपने हाथो को फैला, 
खुल कर साँस ले
अंदर ही अंदर घुटने की 
कोशिश न कर

मन में चल रहे 
युद्ध को विराम दे
खामख्वाह खुद से 
लड़ने की कोशिश न कर

कुछ बाते 
भगवान् पर छोड़ दे
सब कुछ खुद सुलझाने की 
कोशिश न कर



जो मिल गया 
उसी में खुश रह
जो सकून छीन ले 
वो पाने की कोशिश न कर

रास्ते की सुंदरता का 
लुत्फ़ उठा
मंजिल पर जल्दी 
पहुचने की कोशिश न कर...

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